लौट आएंगे परिदों की तरह घर को
अभी दिन है जरा शाम तो होने दो
खिल जाऊंगा फूलों की तरह रंगों से
अभी पतझड़ है बहारों का एलान तो होने दो
मदहोश में हो जाएं दुनिया से बेखबर
हाथों में मेरे पहले जाम तो होने दो
कर लेना बदनाम चाहे कितना भी
'अमर' थोड़ा रुको ज़रा नाम तो होने दो
ਸਾਰ
लौट आएंगे परिदों की तरह घर को
अभी दिन है जरा शाम तो होने दो
खिल जाऊंगा फूलों की तरह रंगों से
अभी पतझड़ है बहारों का एलान तो होने दो
मदहोश में हो जाएं दुनिया से बेखबर
हाथों में मेरे पहले जाम तो होने दो
कर लेना बदनाम चाहे कितना भी
'अमर' थोड़ा रुको ज़रा नाम तो होने दो
ਰਿਪੋਰਟ ਦੀ ਸਮੱਸਿਆ
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