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सिलसिला

4.5
7049

"कितनी साँसों को सुनकर मूक हुए हो? कितनी साँसों को गिनना चूक गये हो? कितनी सांसें दुविधा के तम में रोयीं? कितनी सांसें जमुहाई लेकर खोयीं? कितनी सांसें सपनों में आबाद हुई हैं कितनी सांसें सोने में ...

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ਲੇਖਕ ਦੇ ਬਾਰੇ ਵਿੱਚ

शिक्षा से इंजीनियर,श्रेष्ठता से एक वक्ता,भाषण एवं वाद विवाद में पारंगत ,शौक से एक लेखक,पाठक, शिष्टता से एक सामजिक कार्यकर्ता एवं परिवर्तनकर्ता मनुष्य। हिंदी से प्रगाढ़ प्रेम,कला एवं संस्कृति से गहन अनुराग एवं राष्ट्र के प्रति सजग दृष्टिकोण। शेर-ओ-शायरी का रक्त की तरह हृदय से संचार है पूरी देह में.अहं ब्रह्मास्मि तत् त्वम् असि.

ਰਿਵਿਊ
  • author
    ਤੁਹਾਡੀ ਰੇਟਿੰਗ

  • ਕੁੱਲ ਰਿਵਿਊ
  • author
    Shailendra Sharma
    01 ਸਤੰਬਰ 2017
    शानदार
  • author
    रश्मि सिन्हा
    27 ਸਤੰਬਰ 2017
    आज इस कहानी को यूं ही खोल लिया, फिर कैसे इस कथा के बहाव में बहती गई, अंत तक पहुंच कर ही रुकी।दिलोडिंमग पर छा जाने वाली कथा। साधुवाद👍👍👍👍
  • author
    Rupal Jain
    02 ਜੁਲਾਈ 2017
    Wonderful story...full of suspense...expected more stories from you...you are my favorite author...
  • author
    ਤੁਹਾਡੀ ਰੇਟਿੰਗ

  • ਕੁੱਲ ਰਿਵਿਊ
  • author
    Shailendra Sharma
    01 ਸਤੰਬਰ 2017
    शानदार
  • author
    रश्मि सिन्हा
    27 ਸਤੰਬਰ 2017
    आज इस कहानी को यूं ही खोल लिया, फिर कैसे इस कथा के बहाव में बहती गई, अंत तक पहुंच कर ही रुकी।दिलोडिंमग पर छा जाने वाली कथा। साधुवाद👍👍👍👍
  • author
    Rupal Jain
    02 ਜੁਲਾਈ 2017
    Wonderful story...full of suspense...expected more stories from you...you are my favorite author...